क्यों जलाते हो रावण को...
क्यों मनाते हो दशहरा...
क्यों पढ़ते हो गीता को...
क्यों कहते हो बेटी को अप्सरा...
हाँ वही रावण जिसे हम और तुम आज भी हर साल जलाते हैं क्या तुमसे भी गुजरा है वो ...
उसने पराई स्त्री का हरण तो कर लिया लेकिन उसने कभी उसकी आत्मा को दुखी ना किया ।
यहाँ तुम हर दिन मार डालते हो नोच खाते हो उस गिद्ध की तरह जिसे सिर्फ और सिर्फ अपनी भूख की पड़ी है।
क्यों मनाते हो दशहरा...?
हाँ दशहरा जिसमे तुम भगवा, पीतांबरी पहने दिख जाते हो देवी के प्रांगण में हर दिन जैसे कि खो से गये हो देवी के पूजा स्तुति में ।
या यहाँ भी तुम्हारा अपना स्वार्थ है या यहाँ भी तुम किसी को चील से तारने आते हो..।
क्यों पढ़ते हो गीता...?
गीता जिसकी कसमें खाई जाती है जिस से बड़ा कोई धर्म में उपदेश नहीं...
स्त्री की रक्षा के लिए खुद को मिटाने तक कि कथा ही है शायद महाभारत लेकिन तुम्हे क्या...
तुम्हे तो उसमें भी पांचाली के रूप में..... क्या दिखा हो...!!
मत जलाओ उस रावण को तब तक जब तक निर्भया से प्रियंका के हत्यारे हर गली में है ।
मार दो काट दो या जिंदा जला दो....
या हर साल ही रावण के जगह लाखों के भीड़ के सामने जलाओ ऐसे दुराचारी को ....
फिर देखों जरूरत ही नही आएगी रावण को जलाने की खुद ब खुद रावण भी राम बन जायेगा ।।
कब तक जलाते रहोगे मोमबतिया
आओं कभी जलाते है या गला काट आते है
कब तक भरोसे बैठे रहोगे राम के लिए हाथ में लिए मोमबतिया
एक कदम हम बढ़ाते है एक कदम तुम बढाओ हर दिन भीड़ के सामने चलो रावण जलाओ
@thegauravmishra