व्यथित मन से कर रही हूं पुकार,
ये कैसा प्रलय झेल रहा है बिहार,
पहले सुखाड़ तत्पश्चात विकराल बाढ़,
मासूमों को छीन गया पहले ही चमकी बुखार,
दंश लू का चला ऐसा,जाने कितनी चली गयी,
रोई बिलखी माँओ की आँचल बस भींग के रह गयी,
कोई न सुना दुखड़ा, उनकी गोद सूनी हो गयी,
इलाज़ के अभाव में बच्चों को बेमौत मौत मिल गयी,
जाने क्या गलती हुई,क्यों कर रहा प्रकृति खिलवाड़,
और नेत्र मूंदे सत्ता पर मौन बैठी है यहां की सरकार,
जनता की कोई सुध नहीं है करती नहीं कोई प्रतिकार,
बच्चे-बूढ़े तड़प रहे हैं,मिल न रहा है उनको आहार,
सुशासन बाबू आत्ममुग्ध हो गए,अब आस ही न किया जाएं,
सोये रहने दे उन्हें,उनके तंद्रा को न भंग न किया जाएं,
बस प्रार्थना अब तुमसे करती हूं भगवन,दुःख मासूमों का सुना जाएँ,
बहुत हो गया इम्तेहान अब कुछ रहम भी तो किया जाएं!
-Rupam jha
आत्ममुग्धता के मारे क्या किसी की सुधि लेंगे, वो तो बस सत्ता की लिप्सा से ग्रसित हैं,बाकी भाषणबाजी जितना कर लें!पहले लू और अब बाढ़ की चपेट में सैकड़ों मासूम आ रहे हैं 😢और तथाकथित राहत कार्य भी चल रहा!
जो हर बाढ़ पीड़ित गांव तक भी नहीं पहुँच पा रहा!सरकारी अफसर इतने सक्रिय हैं कि तटबंध तक टूटने की खबर नहीं थी और न जनता को आगाह कर सके!
मध्यरात्रि को इस प्रकार बाढ़ की वेग आयी कि कितनों को अपना ग्राह्य बना चली गयी और ये वाकया अभी रुकने वाला कहाँ है ये तो बस शुरुआत है अभी तो बाढ़ जाते जाते अपने साथ कितनी बीमारियां दे जाएगी और सरकार का काम तो है ही मौन रहना!😶
बिहार में बहार है,नीतीशे कुमार है!!